प्रत्येक काष्ठ टुकड़े को जिसे वस्तु बनाने के लिये काटा जाता है, इसमें पूरी नमी को निकालने के लिये धीमी आंच पर गर्म किया जाता है। प्रत्येक पृथक्क अंग की अलग नक्काशी की जाती है और इमली के बीजों की चिपकाने वाळी गोंद से शरीर के साथ जोड़ा जाता है, और बाद में चूने के सरेस की कोटींग में से गुजारा जाता है। रंगो से रंगाई बकरी के बालों से निर्मित ब्रुश द्वारा अति सूक्ष्मता के साथ किया जाता है। पानी और तैलीय दोनो रंगो का प्रयोग किया जाता है। लाख का कार्य हाथ या यंत्र संचालित खराद पर किया जाता है। पतली और नाजुक वस्तुओं को मोड़ने के लिए, हाथ की खराद को सही माना जाता है। लाख टर्नरी पद्धति में,लाख को शुष्क अवस्था में लगाया जाता है अर्थात लाखभराई के लिए लिए लाख की छड़ को काष्ठ बर्तन के ऊपर दबाया जाता है। जब पश्चवर्ती घूमता रहता है, घर्षण से उत्पन्न उष्मा लाख को नरम बना देती है, और रंग छड़ बनाती है। लाख के खिलौने इस प्रकार बनाए जाते हैं। विशिष्ट दक्षता सहित शिल्पकार छड़ को प्रयोग में लाता है जहाँ अनेक रंग प्रयोग होते हैं। कुछ लाख कार्य की गई वस्तुओं को ब्रुश की सहायता से रंगाई की जाती है।